यह लोकगीतों को एक माला में पिरोने का प्रयास है। परम्परा से हमारे लोकगीत पीढ़ी दर पीढ़ी सतत प्रवाहमान रहे हैं और राग, लय एवं भावों की समृद्धि सहेजे हुए हैं। यदि आपके पास भी लोक-गीत-माला में पिरोने हेतु कुछ मोती हों तो उन्हें ब्लॉगर को उपलब्ध कराकर कृतार्थ करें।