मंगलवार, 12 अगस्त 2025

श्रीराम वन गमन छंद | राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम | Ram Ji Ko Dekh Kar Bhul Baithe Sab Kaam Lyrics in Hindi and English

श्रीराम वन गमन छंद | राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम | Ram Ji Ko Dekh Kar Bhul Baithe Sab Kaam Lyrics in Hindi and English

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परिचय

‘श्री राम का वन गमन’ प्रकरण वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड का एक अत्यंत मार्मिक एवं महत्वपूर्ण भाग है। यह वह क्षण है जब अयोध्या के राजकुमार श्रीराम को पिता दशरथ द्वारा दिए गए वचन केअनुपालन में 14 वर्षों के वनवास पर जाना पड़ता है। इस घटना ने न केवल राम के जीवन को बल्कि सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति, राजनीति और आदर्शों को गहराई से प्रभावित किया है। श्रीराम का वन गमन वचन की मर्यादा, त्याग, धर्म, कर्तव्य, प्रेम और मर्यादा का अद्वितीय उदाहरण है।

प्रसंग की पृष्ठभूमि:

अयोध्या के राजा दशरथ अपने जीवन के उत्तरार्ध में यह निर्णय लेते हैं कि वे अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को राजा घोषित करेंगे। यह समाचार अयोध्या में हर्ष और उल्लास का कारण बनता है। समस्त प्रजा राम के गुणों से परिचित थी - वे मर्यादापुरुषोत्तम, धर्मनिष्ठ, विनम्र, और न्यायप्रिय थे। लेकिन जब कैकेयी को यह बात ज्ञात होती है, तो उसकी दासी मंथरा उसे भड़काती है। मंथरा कैकेयी को यह विश्वास दिलाती है कि राम के राजा बनने के बाद भरत की स्थिति कमजोर हो जाएगी और कैकेयी का वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। कैकेयी के मन में ईर्ष्या और मोह का बीज बोया जाता है, जो धीरे-धीरे क्रूर संकल्प में बदल जाता है।

कैकेयी के दो वरदान:

राजा दशरथ ने देवासुर संग्राम के समय कैकेयी को दो वरदान देने का वचन दिया था, जब कैकेयी ने युद्ध में उनकी प्राण-रक्षा की थी। अब कैकेयी उसी वचन को आधार बनाकर दशरथ से दो वर मांगती है- प्रथम भरत को राजगद्दी मिले एवं द्वितीय राम को 14 वर्षों का वनवास दिया जाए।

महाराज दशरथ यह सुनकर अचंभित और पीड़ित हो उठते हैं। वे राम को अत्यधिक प्रेम करते थे और कभी भी उनके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते थे। वे कैकेयी से विनती करते हैं, परंतु कैकेयी अपने निर्णय पर अडिग रहती हैं। अंततः, वचनबद्ध दशरथ विवश होकर राम को बुलाकर यह कठोर आदेश सुनाते हैं।

श्रीराम की प्रतिक्रिया:

श्रीराम की प्रतिक्रिया अत्यंत शांत, संयमित और धर्मपूर्ण होती है। वे बिना किसी विरोध के, पिता के वचन की रक्षा के लिए वन जाने को तत्पर हो जाते हैं। यह क्षण श्रीराम के चरित्र की महानता को उजागर करता है। वे कहते हैं कि पितृवचन मानना मेरा धर्म है। राज्य मिले या न मिले, मुझे कोई मोह नहीं। राम के इस व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वे सांसारिक सुखों से ऊपर हैं और उनके लिए सबसे बड़ा धर्म पिता की आज्ञा और वचन की मर्यादा है।

सीता और लक्ष्मण का साथ जाना:

जब राम वन जाने का निर्णय लेते हैं, तो सीता उनसे अनुरोध करती हैं कि वे भी साथ जाएंगी। राम उन्हें समझाते हैं कि वन का जीवन कठोर है, वहाँ सुख-सुविधाएँ नहीं हैं, परंतु सीता दृढ़ रहती हैं। वह कहती हैं कि जहाँ आप होंगे, वहीं मेरा वैभव है। आपके बिना यह महल भी मेरे लिए वन के समान है। लक्ष्मण भी अपने भ्राता की सेवा के लिए आग्रह करते हैं और कहते हैं कि वे भी साथ जाएंगे। इस प्रकार राम, सीता और लक्ष्मण तीनों वनवास के लिए प्रस्थान करते हैं।

अयोध्या की प्रतिक्रिया:

राम का वन गमन सुनकर पूरी अयोध्या शोकमग्न हो जाती है। नगरवासी राम से अत्यधिक प्रेम करते थे। जब उन्हें ज्ञात होता है कि राम को वनवास मिला है तो वे विलाप करने लगते हैं और राम के साथ वन जाने की इच्छा जताते हैं। लेकिन राम उन्हें समझाकर वापस भेज देते हैं।

राजा दशरथ पुत्र वियोग में दुखी होकर धीरे-धीरे अपनी इन्द्रियों को खोने लगते हैं। राम के जाने के कुछ समय बाद वे ‘राम’ का नाम लेते-लेते प्राण त्याग देते हैं।

राम का वन गमन भारत के लोकजीवन में एक गहरे सांस्कृतिक बोध के रूप में रच-बस गया है। तुलसीदास जी ने इसे "रामचरितमानस" में अत्यंत भावपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विभिन्न भागों में रामलीला, भजन, लोकगीतों और कथाओं में इस प्रसंग को भावुकता और आदर्श के रूप में चित्रित किया जाता है। आज भी जब राम का नाम लिया जाता है, तो उनके वन गमन की स्मृति हृदय को भावविभोर कर देती है। यह केवल एक कथा नहीं, बल्कि जीवन के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है और यही कारण है कि श्रीराम का वन गमन भारतीय मानस में युगों-युगों तक अमर रहेगा।

इसी कड़ी में प्रतापगढ़ के प्रसिद्ध कवि श्री सत्‍यम दुबे शार्दूल जी ने भी अपनी लेखनी श्रीराम वन गमन पर चलायी है और एक अत्‍यन्‍त ही सुन्‍दर छन्‍द की रचना की है। हम श्री सत्‍यम दुबे जी की इस दिव्‍य रचना को यहॉं प्रस्‍तुत कर रहे हैं, जो इस प्रकार है- 
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राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम,
अपलक सोच रहे आता कौन धीर है;
आता कौन धीर वीर श्याम वर्ण है शरीर;
हाथ में धनुष लिए पीछे को तुणीर है,
तुणीर में चार बाण चारों करें झनकार;
अधर की वाणी सम बोलते कि वीर हैं,
वीर एक पीछे पीछे शांत चित्त मौन धारे,
शांत चित्त कह रहा देव सशरीर है। 
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देव सशरीर किंतु मस्तक पर मुकुट नहीं,
रथ की तो बात और पादुका विहीन हैं;
पादुका विहीन मन कैसे कहे देव मुनि,
देव मुनि नहीं किंतु लगते नवीन हैं;
लगते नवीन तन पावन पुनीत मन,
जोगी जैसा वेश नहीं किसी के अधीन हैं;
किसी राजपुंज के प्रकाशमान बिंब तीन,
धर्म ध्वजा वस्त्र धारे लगते प्रवीण हैं।
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लगते प्रवीण भाई पूछो तनी नाम गांव,
आज रुक जाएं यहीं जाना यदि दूर है;
दूर दूर जंगलों में भटकेंगे कहां यहां,
जंगलों में जीव-जंतु बसे भरपूर हैं;
बसे भरपूर खायें सोयें रहें प्रात जाएं,
नगर यहां से अभी बहुत सुदूर है;
बहुत दिनों के बाद आया कोई आज यहां,
राम की कृपा से उसे रोकना ज़रूर है।
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श्रीराम वन गमन छंद | राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम | Ram Ji Ko Dekh Kar Bhul Baithe Sab Kaam Lyrics in Hindi and English
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Rām jī ko dekh kar bhūl baiṭhe sab kāma,
Apalak soch rahe ātā kaun dhīr hai;
Ātā kaun dhīr vīr shyām varṇa hai sharīra;
Hāth mean dhanuṣh lie pīchhe ko tuṇīr hai,
Tuṇīr mean chār bāṇ chāroan karean jhanakāra;
Adhar kī vāṇī sam bolate ki vīr haian,
Vīr ek pīchhe pīchhe shāanta chitta maun dhāre,
Shāanta chitta kah rahā dev sasharīr hai 
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Dev sasharīr kiantu mastak par mukuṭ nahīan,
Rath kī to bāt aur pādukā vihīn haian;
Pādukā vihīn man kaise kahe dev muni,
Dev muni nahīan kiantu lagate navīn haian;
Lagate navīn tan pāvan punīt mana,
Jogī jaisā vesh nahīan kisī ke adhīn haian;
Kisī rājapuanja ke prakāshamān bianba tīna,
Dharma dhvajā vastra dhāre lagate pravīṇ haian
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Lagate pravīṇ bhāī pūchho tanī nām gāanva,
Āj ruk jāean yahīan jānā yadi dūr hai;
Dūr dūr jangaloan mean bhaṭakeange kahāan yahāan,
Jangaloan mean jīva-jantu base bharapūr haian;
Base bharapūr khāyean soyean rahean prāt jāean,
Nagar yahāan se abhī bahut sudūr hai;
Bahut dinoan ke bād āyā koī āj yahāan,
Rām kī kṛupā se use rokanā jrūr hai
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शनिवार, 17 मई 2025

गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

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Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English
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यह अवधी भाषा में रचित एक सुंदर लोकगीत है जो श्रीराम के विवाह के अवसर पर जनकपुरी में हुई जयमाला और ज्यौनार (भोजन) की आनंदमयी छवि प्रस्तुत करता है। गीत में जनक के आँगन में आये बारातियों के स्वागत, भोजनों की विविधता, और पारंपरिक रीति-नीति का जीवंत वर्णन है।
यह गीत केवल भोजन का वर्णन नहीं है, बल्कि आतिथ्य, संस्कृति, परंपरा और सौहार्द्र की मिसाल है। इस तरह के लोकगीत भारतीय समाज के लोक-संवेदनाओं और जीवनशैली को जीवंत बनाए रखते हैं।
भारतीय लोक परंपरा में शादी-ब्याह के गीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक इतिहास के जीवंत दस्तावेज होते हैं। अवधी क्षेत्र का प्रसिद्ध लोकगीत “गए जैमन हित ज्यौनार” जनकपुर में भगवान राम के विवाह के अवसर पर हुए भोज का ऐसा ही एक मनोहारी चित्रण प्रस्तुत करता है।
यह गीत सिर्फ भोजन की विविधता नहीं, बल्कि आतिथ्य, शिष्टाचार और उत्सव की भावना को भी दर्शाता है। आइए इस गीत को विस्तार से समझते हैं।
यह लोकगीत श्रीराम विवाह के अवसर पर आयोजित भव्य भोज (ज्यौनार) का सुंदर वर्णन करता है। जनकपुर के आँगन में राजा दशरथ सहित राम-लक्ष्मण, भरत-शत्रुघ्न, गुरु वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र और पूरी बारात का स्वागत पारंपरिक अवधी भोज से किया जाता है।
यह भोजन मात्र स्वाद का विषय नहीं था, बल्कि संपूर्ण आनंद और आतिथ्य संस्कार का प्रतिनिधित्व करता है।
लोकगीत हमारी सभ्यता की आत्मा हैं। “गए जैमन हित ज्यौनार” न केवल एक गीत है, बल्कि भारतीय संस्कृति की वह धार्मिक, सामाजिक और भावनात्मक विरासत है, जो पीढ़ियों तक चली आ रही है। ऐसे गीतों को सहेजना और साझा करना हमारी जिम्मेदारी है।
"ज्यौनार" शब्द का मतलब भोज से है, विशेषकर वैवाहिक अवसरों पर होने वाला सत्कार भोज।
क्या आपके पास भी कोई पारंपरिक विवाह गीत है? कमेंट करके साझा करें!
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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राम लषन अरु भरत शत्रुहन 
अवधपुरी भूपाल
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गुरु वशिष्ठ औ कौशिक बैठे 
जैमनहित तत्काल
बराती बैठे अँगना ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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पातरि परसिके दौना परसे 
लोटा और गिलास। 
पूरी कचौरी दही परस के 
धरौ अचार सुपास॥ 
बहुत आनन्द माना ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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सेब इमरती बालूसाही 
गुजिया नुकती दार । 
मधु मेवा पकमान मिठाई 
व्यंजन परस समार॥ 
बरणी नहिं जावें उपमा ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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जब जौनारि परसि गई सिगरी 
होय मंगला चार। 
कबि सुन्दर जौनार बनाई 
तिरियन हेत समार॥ 
जनक अति खुश मन माँ ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

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Gaye jaiman hit jyaunāra
Janak nṛupake aganā
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Rām laṣhan aru bharat shatruhan 
Avadhapurī bhūpāla
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Jaimanahit tatkāla
Barātī baiṭhe aganā 
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Gaye jaiman hit jyaunāra
Janak nṛupake aganā
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Pātari parasike daunā parase 
Loṭā aur gilāsa 
Pūrī kachaurī dahī paras ke 
Dharau achār supāsa 
Bahut ānanda mānā 
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Gaye jaiman hit jyaunāra
Janak nṛupake aganā
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Seb imaratī bālūsāhī 
Madhu mevā pakamān miṭhāī 
Vyanjan paras samāra 
Baraṇī nahian jāvean upamā
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Gaye jaiman hit jyaunāra
Janak nṛupake aganā
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Jab jaunāri parasi gaī sigarī 
Hoya mangalā chāra 
Kabi sundar jaunār banāī 
Tiriyan het samāra 
Janak ati khush man mā
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Gaye jaiman hit jyaunāra
Janak nṛupake aganā
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गुरुवार, 15 मई 2025

सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

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Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English
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संपादक - प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित
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भारतीय लोकसंस्कृति में देवी गौरी (पार्वती) की पूजा और भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। अवधी क्षेत्र के इस लोकप्रिय लोकगीत “सिव पूजत हो गौरी” में देवी की पूजा, सीता की शिव भक्ति और धार्मिक भावनाओं का मनोहारी चित्रण मिलता है।
यह गीत न केवल धार्मिक श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि जनजीवन की सादगी और लोकधार्मिक भावनाओं को भी उजागर करता है।
यह गीत पारंपरिक अवधी भक्ति और विवाह संस्कार की झलक प्रस्तुत करता है।
गौरी पूजा मुख्यतः हिन्दू महिलाओं द्वारा की जाती है, जो परिवार की समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं।
शिव जी की आराधना विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस गीत के माध्यम से जनजीवन में धार्मिक अनुष्ठान और भावनाओं का सामंजस्य दिखता है।
“सिव पूजत हो गौरी” लोकगीत धार्मिक श्रद्धा, सांस्कृतिक विरासत और जनजीवन की सादगी का अनुपम उदाहरण है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि कैसे हमारी लोकधार्मिक परंपराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी संजोई जाती हैं।
यदि आप इस प्रकार के लोकगीत पसंद करते हैं, तो हमारे ब्लॉग को फॉलो करें और अपनी पसंदीदा लोककथाएँ साझा करें!
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सिव पूजत हो गौरी 
पूजत जनक दुलारी 
बैठी फुलवारी।
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पाँचौ फूल पाँच बेल की पाती हो 
सीता हथवा में लीन्हें बाती 
बैठी फुलवारी ।
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फुलवै दूरि सीता शिव जी को पूजइँ हो 
अब अच्छत मारी दुइ चारी 
बैठी फुलवारी ।।
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अब शिव बाबा हो 
अब शिव भोले 
हँसले ठठारी 
बैठी फुलवारी ।। 
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जवन माँगन तुहुँ माँगो हो जानकी 
अब उहै माँगन हम देबई 
बैठी फुलवारी ।।
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अब सिव बाबा हो 
अब सिव भोले 
कब तक रहबै कुँवारी 
बैठी फुलवारी।
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सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

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Siv pūjat ho gaurī 
Pūjat janak dulārī 
Baiṭhī fulavārī
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Pāchau fūl pāch bel kī pātī ho 
Sītā hathavā mean līnhean bātī 
Baiṭhī fulavārī 
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Fulavai dūri sītā shiv jī ko pūjai ho 
Ab achchhat mārī dui chārī 
Baiṭhī fulavārī 
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Ab shiv bābā ho 
Ab shiv bhole 
Hasale ṭhaṭhārī 
Baiṭhī fulavārī  
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Javan māgan tuhu māgo ho jānakī 
Ab uhai māgan ham debaī 
Baiṭhī fulavārī 
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Ab siv bābā ho 
Ab siv bhole 
Kab tak rahabai kuvārī 
Baiṭhī fulavārī
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सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

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Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English
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लेखक एवं संपादक - प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित
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सखि ये दोउ राज किसोर

सभा में आये।।
राजा जनक परन यकु ठाना 
धनुवा देत धराये।
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देस-देस के भूपति आये 
धनुवा नहिं सकत उठाये।
उठे राम गुरु अग्या लइके 
धनुवा लेत चढ़ाये।
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धरत, उठावत कोऊ नहि देखत 
छनहीं में तोरि बहायें
सखि ये दोउ राज किसोर
सभा में आये।।
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सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

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Sakhi ye dou rāj kisora
Sabhā mean āye
Rājā janak paran yaku ṭhānā 
Dhanuvā det dharāye
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Desa-des ke bhūpati āye 
Dhanuvā nahian sakat uṭhāye
Uṭhe rām guru agyā laike 
Dhanuvā let chaḍhaāye
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Dharata, uṭhāvat koū nahi dekhat 
Chhanahīan mean tori bahāyean
Sakhi ye dou rāj kisora
Sabhā mean āye
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जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

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Lokgeet Lyrics in Hindi & English
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रचयिता - गोस्‍वामी तुलसीदास जी
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जहाँ राम लिहे अवतार 
सुरन हरसायी।
अनँद बधाव अवधपुर बाजै 
सब सखि मंगल गाई।
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बिप्र बोलाय के वेद विचारत 
कर कंचन देत लुटाई ।।
भइ अति भीर धीर राजा घर 
राम देखन सब आयी।
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राम का रूप कहाँ तक बरनौ 
उपमा बरनि न जाई।
पुरबासी सब मगन भये हैं 
घर घर नाच कराई।
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जह देखौ तहँ थेई थेई मानौ 
उतरि पुर आई।
धन्य कहौं तोहे मातु कौसिला 
राम को गोद खेलायी।
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धनि तुलसी 
धनि-धनि राजा दशरथ 
जिन राम लखन सुख पायी।।
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जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

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Jahā rām lihe avatār 
Suran harasāyī
Anad badhāv avadhapur bājai 
Sab sakhi mangal gāī
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Bipra bolāya ke ved vichārat 
Kar kanchan det luṭāī
Bhai ati bhīr dhīr rājā ghar 
Rām dekhan sab āyī
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Rām kā rūp kahā tak baranau 
Upamā barani n jāī
Purabāsī sab magan bhaye haian 
Ghar ghar nāch karāī
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Jah dekhau taha theī theī mānau 
Utari pur āī
Dhanya kahauan tohe mātu kausilā 
Rām ko god khelāyī
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Dhani tulasī 
Dhani-dhani rājā dasharath 
Jin rām lakhan sukh pāyī
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श्रीराम वन गमन छंद | राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम | Ram Ji Ko Dekh Kar Bhul Baithe Sab Kaam Lyrics in Hindi and English

श्रीराम वन गमन छंद | राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम | Ram Ji Ko Dekh Kar Bhul Baithe Sab Kaam Lyrics in Hindi and English ** परिचय ‘श्री र...