हे गोविंद राखो शरण || Shri Narayan Bharan || Shri Krishna Bhajan || He Govind Rakh Sharan
आज आपके साथ बहुत ही प्यारा भजन साझा करने का सौभाग्य मिला है। इस भजन में गज-ग्राह की कथा का वर्णन है। जब गज को ग्राह ने ग्रस लिया तो गज भगवान की स्तुति कर रहा है। वास्तव में यहॉं गज और ग्राह को रूपक की तरह प्रस्तुत किया गया है। हम सभी भी जीवन में प्रभु को बिसराये फिरते रहते हैं और जब अन्त समय में काल हमें ग्राह के रूप में पकड़ लेता है तब केवल एक ही सहारा होता है और जब हम उसे पुकारते हैं तो वह हमारी सहायता के लिए नंगे पॉंव ही दौड़ा आता है। तो लीजिये आनन्द इस सुन्दर भजन का .....
हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारे।
हे गोविंद हे गोपाल, अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारे।
हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारे।।
नीर पीबन हेतु गयऊ सिंधु के किनारे।
नीर पीबन हेतु गयऊ सिंधु के किनारे।
सिंधु बीच बसत ग्राह चरण गहि पचारे।
हे गोविंद हे गोपाल, अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारे।
चार प्रहर ठाढ़ भयो लई गयो मजधारे ।।
चार प्रहर ठाढ़ भयो लई गयो मजधारे ।।
नाक कान डूबन लागे कृष्णा को पुकारे।
हे गोविंद हे गोपाल अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारे।
द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो भारे।।
द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो भारे।।
शंख चक्र गदा पद्म गरुड़ लइ सिधारे।
हे गोविंद हे गोपाल अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण अब तो जीवन हारे।
सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे।।
सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे।।
अबकी बार पार करो नंद के दुलारे।
हे गोविंद हे गोपाल अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण अब तो जीवन हारे।
हे गोविंद हे गोपाल अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद राखो शरण अब तो जीवन हारे।।
हे गोविंद हे गोपाल अब तो जीवन हारे।
हे गोविंद राखो शरण अब तो जीवन हारे।।
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