शनिवार, 17 मई 2025

गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

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Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English
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यह अवधी भाषा में रचित एक सुंदर लोकगीत है जो श्रीराम के विवाह के अवसर पर जनकपुरी में हुई जयमाला और ज्यौनार (भोजन) की आनंदमयी छवि प्रस्तुत करता है। गीत में जनक के आँगन में आये बारातियों के स्वागत, भोजनों की विविधता, और पारंपरिक रीति-नीति का जीवंत वर्णन है।
यह गीत केवल भोजन का वर्णन नहीं है, बल्कि आतिथ्य, संस्कृति, परंपरा और सौहार्द्र की मिसाल है। इस तरह के लोकगीत भारतीय समाज के लोक-संवेदनाओं और जीवनशैली को जीवंत बनाए रखते हैं।
भारतीय लोक परंपरा में शादी-ब्याह के गीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक इतिहास के जीवंत दस्तावेज होते हैं। अवधी क्षेत्र का प्रसिद्ध लोकगीत “गए जैमन हित ज्यौनार” जनकपुर में भगवान राम के विवाह के अवसर पर हुए भोज का ऐसा ही एक मनोहारी चित्रण प्रस्तुत करता है।
यह गीत सिर्फ भोजन की विविधता नहीं, बल्कि आतिथ्य, शिष्टाचार और उत्सव की भावना को भी दर्शाता है। आइए इस गीत को विस्तार से समझते हैं।
यह लोकगीत श्रीराम विवाह के अवसर पर आयोजित भव्य भोज (ज्यौनार) का सुंदर वर्णन करता है। जनकपुर के आँगन में राजा दशरथ सहित राम-लक्ष्मण, भरत-शत्रुघ्न, गुरु वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र और पूरी बारात का स्वागत पारंपरिक अवधी भोज से किया जाता है।
यह भोजन मात्र स्वाद का विषय नहीं था, बल्कि संपूर्ण आनंद और आतिथ्य संस्कार का प्रतिनिधित्व करता है।
लोकगीत हमारी सभ्यता की आत्मा हैं। “गए जैमन हित ज्यौनार” न केवल एक गीत है, बल्कि भारतीय संस्कृति की वह धार्मिक, सामाजिक और भावनात्मक विरासत है, जो पीढ़ियों तक चली आ रही है। ऐसे गीतों को सहेजना और साझा करना हमारी जिम्मेदारी है।
"ज्यौनार" शब्द का मतलब भोज से है, विशेषकर वैवाहिक अवसरों पर होने वाला सत्कार भोज।
क्या आपके पास भी कोई पारंपरिक विवाह गीत है? कमेंट करके साझा करें!
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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राम लषन अरु भरत शत्रुहन 
अवधपुरी भूपाल
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गुरु वशिष्ठ औ कौशिक बैठे 
जैमनहित तत्काल
बराती बैठे अँगना ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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पातरि परसिके दौना परसे 
लोटा और गिलास। 
पूरी कचौरी दही परस के 
धरौ अचार सुपास॥ 
बहुत आनन्द माना ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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सेब इमरती बालूसाही 
गुजिया नुकती दार । 
मधु मेवा पकमान मिठाई 
व्यंजन परस समार॥ 
बरणी नहिं जावें उपमा ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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जब जौनारि परसि गई सिगरी 
होय मंगला चार। 
कबि सुन्दर जौनार बनाई 
तिरियन हेत समार॥ 
जनक अति खुश मन माँ ॥
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गये जैमन हित ज्यौनार
जनक नृपके अँगना।
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गये जैमन हित ज्यौनार जनक नृपके अँगना | Lokgeet Gari Geet Lyrics in Hindi and English | Gaye Jaiman Hit Jyonar Janak Nrip Ke Angana

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Gaye Jaiman hit jyaunar
Janak nripke angna।
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Ram Lshan aru Bharat Shatruhan
Avadhpuri bhupaal
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Guru Vashishth au Kaushik baithe
Jaiman hit tatkaal
Barati baithe angna ॥
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Gaye Jaiman hit jyaunar
Janak nripke angna।
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Paatar parsi ke dauna parse
Lota aur gilass।
Puri kachaudi dahi paras ke
Dharau achaar supaas॥
Bahut aanand maana ॥
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Gaye Jaiman hit jyaunar
Janak nripke angna।
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Seb imarti balusaahi
Gujiya nukti daar ।
Madhu mewa pakmaan mithai
Vyanjan paras samaar॥
Barani nahin jaaven upma ॥
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Gaye Jaiman hit jyaunar
Janak nripke angna।
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Jab jaunari parsi gayi sigri
Hoy mangla chaar।
Kabi sundar jaunaar banai
Tiriyan het samaar॥
Janak ati khush man maa ॥
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Gaye Jaiman hit jyaunar
Janak nripke angna।
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गुरुवार, 15 मई 2025

सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

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Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English
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संपादक - प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित
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भारतीय लोकसंस्कृति में देवी गौरी (पार्वती) की पूजा और भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। अवधी क्षेत्र के इस लोकप्रिय लोकगीत “सिव पूजत हो गौरी” में देवी की पूजा, सीता की शिव भक्ति और धार्मिक भावनाओं का मनोहारी चित्रण मिलता है।
यह गीत न केवल धार्मिक श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि जनजीवन की सादगी और लोकधार्मिक भावनाओं को भी उजागर करता है।
यह गीत पारंपरिक अवधी भक्ति और विवाह संस्कार की झलक प्रस्तुत करता है।
गौरी पूजा मुख्यतः हिन्दू महिलाओं द्वारा की जाती है, जो परिवार की समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं।
शिव जी की आराधना विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस गीत के माध्यम से जनजीवन में धार्मिक अनुष्ठान और भावनाओं का सामंजस्य दिखता है।
“सिव पूजत हो गौरी” लोकगीत धार्मिक श्रद्धा, सांस्कृतिक विरासत और जनजीवन की सादगी का अनुपम उदाहरण है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि कैसे हमारी लोकधार्मिक परंपराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी संजोई जाती हैं।
यदि आप इस प्रकार के लोकगीत पसंद करते हैं, तो हमारे ब्लॉग को फॉलो करें और अपनी पसंदीदा लोककथाएँ साझा करें!
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सिव पूजत हो गौरी 
पूजत जनक दुलारी 
बैठी फुलवारी।
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पाँचौ फूल पाँच बेल की पाती हो 
सीता हथवा में लीन्हें बाती 
बैठी फुलवारी ।
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फुलवै दूरि सीता शिव जी को पूजइँ हो 
अब अच्छत मारी दुइ चारी 
बैठी फुलवारी ।।
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अब शिव बाबा हो 
अब शिव भोले 
हँसले ठठारी 
बैठी फुलवारी ।। 
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जवन माँगन तुहुँ माँगो हो जानकी 
अब उहै माँगन हम देबई 
बैठी फुलवारी ।।
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अब सिव बाबा हो 
अब सिव भोले 
कब तक रहबै कुँवारी 
बैठी फुलवारी।
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सिव पूजत हो गौरी पूजत जनक दुलारी | Ram Bhajn Lyrics in Hindi & English | Shiv Pujat Ho Gauri Pujat Janak Dulari

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Siv poojat ho Gauri
Poojat Janak dulaari
Baithi phulvaari
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Paanchou phool paanch bel ki paati ho
Sita hathwa mein leenhain baati
Baithi phulvaari
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Phulvai doori Sita Shiv ji ko poojaain ho
Ab achchat maari dui chaari
Baithi phulvaari
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Ab Shiv Baba ho
Ab Shiv Bhole
Hansle thathaari
Baithi phulvaari
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Jawan maangan tuhũ maango ho Janki
Ab uhai maangan hum debai
Baithi phulvaari
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Ab Siv Baba ho
Ab Siv Bhole
Kab tak rahbai kunwaari
Baithi phulvaari
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सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

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Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English
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जनकपुरी की सभा में श्री राम का आगमन 
भारतीय संस्कृति में रामकथा केवल एक धार्मिक आख्यान नहीं, बल्कि आदर्श जीवन का मार्गदर्शन है। रामायण के विवाह प्रसंग में एक ऐसा क्षण आता है, जब अयोध्या के राजकुमार श्री राम, अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला नरेश जनक की सभा में प्रवेश करते हैं। यह दृश्य केवल कथा का मोड़ नहीं, बल्कि सौंदर्य, मर्यादा और भक्ति का अद्वितीय संगम है।
मिथिला की सभा
मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर की घोषणा की थी। शर्त थी – जो वीर भगवान शिव का धनुष (पिनाक) उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता से विवाह करेगा। यह कार्य अब तक किसी से संभव नहीं हो पाया था।
जनक की विशाल सभा में देश-देशांतर के राजा, राजकुमार, विद्वान और वीर उपस्थित थे। सभा अलंकृत थी – सुनहरे स्तंभ, रत्नजड़ित आसन, फूलों की वर्षा, और भव्य द्वार पर संगीत की गूंज।
जनकपुरी की सभा में राम, लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र का प्रवेश केवल एक कथा प्रसंग नहीं, बल्कि आदर्श आचरण, विनम्रता और भक्ति का जीवंत चित्र है। यह दृश्य आज भी भक्ति-साहित्य में उतना ही प्रासंगिक है, जितना हजारों वर्ष पहले था। इसे पढ़ते-सुनते समय हृदय में श्रद्धा, आँखों में भक्ति और मन में शांति का अनुभव स्वाभाविक है।
इसी क्रम में लेखक एवं संपादक - प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित के द्वारा संकलित एक सुन्‍दर लोकगीत प्रस्‍तुत है। मुझे पूर्ण विश्‍वास है कि यह लोकगीत आपको अवश्‍य पसन्‍द आयेगा और आपको अतीत की गहराइयों में ले जायेगा। मेरा आपसे आग्रह है कि यदि आपके पास भी आपके क्षेत्र में प्रचलित कोई लोकगीत हो तो हमें अवश्‍य उपलब्‍ध करायें हम उसे आपके नाम से साथ अपने ब्‍लाग पर प्रकाशित करेंगे।
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सखि ये दोउ राज किसोर

सभा में आये।।
राजा जनक परन यकु ठाना 
धनुवा देत धराये।
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देस-देस के भूपति आये 
धनुवा नहिं सकत उठाये।
उठे राम गुरु अग्या लइके 
धनुवा लेत चढ़ाये।
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धरत, उठावत कोऊ नहि देखत 
छनहीं में तोरि बहायें
सखि ये दोउ राज किसोर
सभा में आये।।
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सखि ये दोउ राज किसोर सभा में आये | Ram Bhajan Lyrics in Hindi & English | Sakhi Ye Dou Raj Kisor Sabha Me Aaye

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Sakhi ye dou raaj kisor
Sabha mein aaye
Raja Janak paran yaku thaana
Dhanua det dharaaye
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Des-des ke bhoopati aaye
Dhanua nahin sakat uthaaye
Uthe Ram guru agya laike
Dhanua let chadhaaye
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Dharat, uthavat kou nahin dekhat
Chhanhi mein tori bahaaye
Sakhi ye dou raaj kisor
Sabha mein aaye
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श्रीराम जन्म कथा | तुलसीदास राम जन्म गीत और लोकगीत | जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

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Lokgeet Lyrics in Hindi & English
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रचयिता - गोस्‍वामी तुलसीदास जी
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श्रीराम जन्म : लोकगीतों और तुलसीदास की वाणी में
भारतीय संस्कृति में भगवान श्रीराम का स्थान सर्वोपरि है। वे केवल अयोध्या के राजकुमार ही नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्श पुरुष के प्रतीक भी हैं। हर युग में लोकगीत, भजन, चौपाई और रामायण की कथाएँ गाकर लोग उनके जन्म, जीवन और आदर्शों को याद करते आए हैं।
राजा दशरथ की तीन रानियाँ – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं। संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उसी यज्ञ से प्राप्त दिव्य खीर को तीनों रानियों ने ग्रहण किया और समय आने पर भगवान विष्णु स्वयं श्रीराम रूप में अवतरित हुए।
श्रीराम के जन्म की घड़ी जैसे ही आई, अयोध्या नगरी आनंद और उल्लास से भर गई।
भारतीय गाँवों और लोकपरंपराओं में श्रीराम जन्म का वर्णन आज भी गीतों और भजनों में किया जाता है। सोहर गीत (बच्चे के जन्म पर गाया जाने वाला गीत) में श्रीराम जन्म का वर्णन विशेष रूप से होता है। ग्रामीण महिलाएँ गाती हैं कि कैसे दशरथ के महलों में दीप जल उठे, कैसे कौशल्या ने राम को जन्म दिया और पूरी अयोध्या में उल्लास छा गया। 
आज जब मानव जीवन चुनौतियों से भरा हुआ है, श्रीराम का जन्म और जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि - कठिनाइयों में भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। परिवार और समाज के प्रति कर्तव्य को सर्वोपरि मानना चाहिए। जीवन में चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आएं, मर्यादा और संयम का पालन करना ही असली आदर्श है। इसी क्रम में प्रस्‍तुत है गोस्‍वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित बहुत ही भावपूर्ण श्रीराम जन्‍म गीत। मुझे पूर्ण विश्‍वास है कि आपको यह गीत अवश्‍य पसन्‍द आयेगा। यदि आप भी गीत लिखते हैं या आपके पास भी ऐसे गीतों का संकलन है तो हमारे साथ अवश्‍य साझा करें जिससे हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित कर और लोगों तक पहुँचा सकें। 
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जहाँ राम लिहे अवतार 
सुरन हरसायी।
अनँद बधाव अवधपुर बाजै 
सब सखि मंगल गाई।
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बिप्र बोलाय के वेद विचारत 
कर कंचन देत लुटाई ।।
भइ अति भीर धीर राजा घर 
राम देखन सब आयी।
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राम का रूप कहाँ तक बरनौ 
उपमा बरनि न जाई।
पुरबासी सब मगन भये हैं 
घर घर नाच कराई।
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जह देखौ तहँ थेई थेई मानौ 
उतरि पुर आई।
धन्य कहौं तोहे मातु कौसिला 
राम को गोद खेलायी।
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धनि तुलसी 
धनि-धनि राजा दशरथ 
जिन राम लखन सुख पायी।।
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जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar

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Jahaan Ram lihe avtaar
Suran harsaayi।
Anand badhaav Avadhpur baajai
Sab sakhi mangal gaayi।
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Bipr bolaay ke Ved vichaarat
Kar kanchan det lutaayi।।
Bhai ati bheer dheer Raja ghar
Ram dekhan sab aayi।
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Ram ka roop kahaan tak baranau
Upma barni na jaayi।
Purbasi sab magan bhaye hain
Ghar ghar naach karaayi।
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Jah dekhau tah thei thei maano
Utri pur aayi।
Dhanya kahau tohe Maatu Kaushila
Ram ko god khelaayi।
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Dhani Tulsii
Dhani-dhani Raja Dashrath
Jin Ram Lakhan sukh paaayi।।
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