जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar
***श्रीराम जन्म : लोकगीतों और तुलसीदास की वाणी में
भारतीय संस्कृति में भगवान श्रीराम का स्थान सर्वोपरि है। वे केवल अयोध्या के राजकुमार ही नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्श पुरुष के प्रतीक भी हैं। हर युग में लोकगीत, भजन, चौपाई और रामायण की कथाएँ गाकर लोग उनके जन्म, जीवन और आदर्शों को याद करते आए हैं।
राजा दशरथ की तीन रानियाँ – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं। संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उसी यज्ञ से प्राप्त दिव्य खीर को तीनों रानियों ने ग्रहण किया और समय आने पर भगवान विष्णु स्वयं श्रीराम रूप में अवतरित हुए।
श्रीराम के जन्म की घड़ी जैसे ही आई, अयोध्या नगरी आनंद और उल्लास से भर गई।
भारतीय गाँवों और लोकपरंपराओं में श्रीराम जन्म का वर्णन आज भी गीतों और भजनों में किया जाता है। सोहर गीत (बच्चे के जन्म पर गाया जाने वाला गीत) में श्रीराम जन्म का वर्णन विशेष रूप से होता है। ग्रामीण महिलाएँ गाती हैं कि कैसे दशरथ के महलों में दीप जल उठे, कैसे कौशल्या ने राम को जन्म दिया और पूरी अयोध्या में उल्लास छा गया।
आज जब मानव जीवन चुनौतियों से भरा हुआ है, श्रीराम का जन्म और जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि - कठिनाइयों में भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। परिवार और समाज के प्रति कर्तव्य को सर्वोपरि मानना चाहिए। जीवन में चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आएं, मर्यादा और संयम का पालन करना ही असली आदर्श है। इसी क्रम में प्रस्तुत है गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित बहुत ही भावपूर्ण श्रीराम जन्म गीत। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपको यह गीत अवश्य पसन्द आयेगा। यदि आप भी गीत लिखते हैं या आपके पास भी ऐसे गीतों का संकलन है तो हमारे साथ अवश्य साझा करें जिससे हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित कर और लोगों तक पहुँचा सकें।
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जहाँ राम लिहे अवतार
सुरन हरसायी।
अनँद बधाव अवधपुर बाजै
सब सखि मंगल गाई।
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बिप्र बोलाय के वेद विचारत
कर कंचन देत लुटाई ।।
भइ अति भीर धीर राजा घर
राम देखन सब आयी।
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राम का रूप कहाँ तक बरनौ
उपमा बरनि न जाई।
पुरबासी सब मगन भये हैं
घर घर नाच कराई।
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जह देखौ तहँ थेई थेई मानौ
उतरि पुर आई।
धन्य कहौं तोहे मातु कौसिला
राम को गोद खेलायी।
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धनि तुलसी
धनि-धनि राजा दशरथ
जिन राम लखन सुख पायी।।
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जहाँ राम लिहे अवतार
सुरन हरसायी।
अनँद बधाव अवधपुर बाजै
सब सखि मंगल गाई।
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बिप्र बोलाय के वेद विचारत
कर कंचन देत लुटाई ।।
भइ अति भीर धीर राजा घर
राम देखन सब आयी।
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राम का रूप कहाँ तक बरनौ
उपमा बरनि न जाई।
पुरबासी सब मगन भये हैं
घर घर नाच कराई।
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जह देखौ तहँ थेई थेई मानौ
उतरि पुर आई।
धन्य कहौं तोहे मातु कौसिला
राम को गोद खेलायी।
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धनि तुलसी
धनि-धनि राजा दशरथ
जिन राम लखन सुख पायी।।
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जहाँ राम लिहे अवतार सुरन हरसायी | Lokgeet Lyrics in Hindi & English | Ram Ji Ke Bhajan Lyrics | Jaha Ram Lihe Avatar
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Jahaan Ram lihe avtaar
Suran harsaayi।
Anand badhaav Avadhpur baajai
Sab sakhi mangal gaayi।
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Bipr bolaay ke Ved vichaarat
Kar kanchan det lutaayi।।
Bhai ati bheer dheer Raja ghar
Ram dekhan sab aayi।
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Ram ka roop kahaan tak baranau
Upma barni na jaayi।
Purbasi sab magan bhaye hain
Ghar ghar naach karaayi।
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Jah dekhau tah thei thei maano
Utri pur aayi।
Dhanya kahau tohe Maatu Kaushila
Ram ko god khelaayi।
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Dhani Tulsii
Dhani-dhani Raja Dashrath
Jin Ram Lakhan sukh paaayi।।
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