सोमवार, 1 सितंबर 2025

भोजपुरी सोहर गीत : बोल और भावार्थ | ननद-भौजाई के रिश्ते, ससुराल के ताने और लोकसंस्कृति के रंग | Sohar Geet: Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet ka Bhavarth aur Mahatva

भोजपुरी सोहर गीत : बोल और भावार्थ | ननद-भौजाई के रिश्ते, ससुराल के ताने और लोकसंस्कृति के रंग | Sohar Geet: Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet ka Bhavarth aur Mahatva

**
Sohar Geet: Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet

**
परिचय
**
भारतीय लोकजीवन में सोहर गीत का अपना विशेष स्थान है। चाहे बच्चे का जन्म हो, शादी-ब्याह हो या घर में कोई शुभ अवसर बिना सोहर गीत के हर रस्म अधूरी मानी जाती है। इन गीतों में ननद-भौजाई की प्यारी नोक-झोंक, सास-बहू के रिश्तों की ताने-बाज़ी और परिवार की खुशियों का रंग मिलता है। इस ब्लॉग में हम आपके लिए एक लोकप्रिय भोजपुरी सोहर गीत के बोल (Lyrics) और उसका भावार्थ (Meaning) लेकर आए हैं। भारत की संस्कृति अपने लोकगीतों और परंपराओं से जानी जाती है। हर राज्य, हर क्षेत्र की अपनी अलग लोकगायकी है। इन्हीं में से एक है बिहारी और भोजपुरी सोहर गीत (Sohar Geet)। ये गीत मुख्य रूप से शादी-विवाह, बच्चे के जन्म और अन्य पारिवारिक अवसरों पर गाए जाते हैं। सोहर गीतों में घर-परिवार के हर रिश्ते को मज़ाक, हंसी-ठिठोली और प्रेम से जोड़ा जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर अवसर पर गाना-बजाना, नाचना और उत्सव मनाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। जन्म से लेकर विवाह तक और त्यौहार से लेकर श्रम तक, हर परिस्थिति के लिए हमारे लोकगीत मौजूद हैं। इन्हीं में सबसे खास माने जाते हैं सोहर गीत (Sohar Geet)। "सोहर" शब्द का अर्थ है खुशी का गीत, मंगल गीत। भोजपुरी, अवधी और मैथिली क्षेत्रों में सोहर गीतों का बहुत महत्व है। ये केवल गीत नहीं बल्कि जीवन दर्शन और रिश्तों का व्यंग्यात्मक चित्रण हैं।
**
आज हम एक बेहद लोकप्रिय ननद-भौजाई सोहर गीत का भावार्थ और महत्व समझेंगे। आज हम जिस गीत की चर्चा कर रहे हैं, वह है -
जइसे तलवा में लड़ेइआ चमकय ननदी,
ओइसे चमकय घरवाँ में ससुरुआ हमरी ननदी…
यह गीत ननद (Nanad) और उसके परिवार के रिश्तों को हल्के-फुल्के हास्य और व्यंग्य के साथ प्रस्तुत करता है।
**
गीत का भावार्थ
**
यह गीत ननद और परिवार के बाकी सदस्यों के रिश्तों को अलग-अलग प्राकृतिक और घरेलू उदाहरणों से जोड़ता है। जैसे तलवार में लड़इया (चमक) करती है, वैसे ही घर में ससुर चमकते हैं। इस लाइन के माध्‍यम से बहु अपनी ननद को उलाहना देते हुए उसके पिता यानि कि अपने ससुर पर बड़ा ही मधुर व्‍यग्‍य करती हुई दिखती है। जैसे बादल में बिजली चमकती है, वैसे ही घर में भसुर (बड़ा देवर या जेठ) चमकता है। पुन: बहु अपनी ननद से चुटकी लेते हुए उसके बड़े भाई के बारे में भी व्‍यंग्‍य की शैली में कहती है कि उसके बड़े भैया किस प्रकार चमकते रहते हैं। जैसे जंगल में हिरण उछलता है, वैसे ही घर में छोटा देवर उछलता है। छोटे देवर की चंचलता की तुलना हिरण से करते हुए उसका भी आनन्‍दमय व्‍यंग्‍य प्रस्‍तुत किया गया है। जैसे तिसी के तेल का दीपक जलता है, वैसे ही घर में सास जलती है (यहाँ हास्य और व्यंग्य है)। जैसे तवे पर रोटी फूलती है, वैसे ही घर में जेठानी फूलती है (मतलब घमंड करती है)। और जैसे जंगल में बिछिया टपकती है, वैसे ही घर में ननद टपकती रहती है। इस पूरे गीत का मूल उद्देश्य है, परिवार के रिश्तों की नोंक-झोंक, हंसी-मजाक और मेल-मिलाप को उजागर करना।
**
सोहर गीतों का सांस्कृतिक महत्व
**
ननद-भौजाई का रिश्ता – यह गीत ननद और भौजाई के रिश्ते की नटखट मस्ती को सामने लाता है। हमने देखा है किजिन घरों में छोटी ननद होती है उन घरों की बहुओं को अपनी छोटी बहन की कमी कभी नहीं खलती। वे दोनों ननद और भौजाई हमेशा मीठी नोकझोंक एवं प्‍यार एक दूसरे पर न्‍यौछावर करती रहती हैं। भारतीय परिवार में ननद-भौजाई का रिश्ता सबसे रोचक माना जाता है। भाभी ननद को बेटी जैसा प्यार करती है, लेकिन मजाक और ठिठोली भी करती है। ननद, भाभी के मायके और ससुराल के बीच का सेतु होती है। इन गीतों में दोनों के बीच का खट्टा-मीठा रिश्ता बहुत सुंदर ढंग से सामने आता है।
देवर-भाभी की ठिठोली – परिवार में देवर और भाभी का रिश्ता हमेशा मजाक-मस्ती से भरा होता है। भाभियों को अपने छोटे देवरों में अपने छोटे भाइयों की झलक दिखलाई देती है। भोजपुरी लोकगीतों में देवर-भाभी के रिश्ते को सबसे मजेदार और हंसी-ठिठोली वाला बताया गया है। छोटा देवर हिरण की तरह उछलता-कूदता है। भाभी उसे बेटे जैसा मानकर छेड़ती है। शादी-ब्याह में देवर-भाभी के गीत (जैसे परछन, मड़वा गीत) खूब गाए जाते हैं।
जेठानी-देवरानी की खट्टी-मीठी खटपट – इसमें जेठानी का फूला-फूला रहना और भाभी का उस पर चुटकी लेना दिखाया गया है। घर में बड़ी बहन के रूप में जेठानी कभी रौब दिखाती है तो कभी जरूरत पड़ने पर मॉं की भूमिका भी निभाती है, सास से कुछ कहासुनी होनी पर वही जेठानी सबसे पक्‍की सहेली का रूप भी लेकर उपस्थित हो जाती है। 
सास-बहू का ताना – तिसी के तेल से सास का जलना यह दर्शाता है कि बहू और सास के बीच का रिश्ता थोड़ा तिक्त लेकिन मजेदार व्यंग्य से भरा है। सास भी कभी बहू थी किन्‍तु वह अपने घर की उन्‍नति एवं प्रगति के लिए घर में अनुशासन एवं मर्यादा का दण्‍ड हमेशा अपने हाथ में लेकर चलती है। सास बाहर से तो कड़क बनी रहती है किन्‍तु अन्‍दर ही अन्‍दर वह सबका ख्‍याल रखती है। सास घर की रीढ़ की हड्डी होती है और परिवार के सभी अंगों को एक दूसरे से प्रेम की डोरी से जोड़ कर रखती है। 
लोकसंस्कृति की पहचान – यह गीत बताता है कि कैसे भारतीय गाँवों में गाने-बजाने के ज़रिए रिश्तों की गहराई और मजाक एक साथ जिए जाते हैं। यह गीत यह भी दर्शाता है कि बहु को अपनी ससुराल में एक स्‍वतंत्र वातावरण प्राप्‍त है जिसमें वह अपनी छोटी बहन के रूप में ननद के कान खींचती है तो वहीं दूसरी ओर छोटे भाई के रूप में देवर की भी खिंचाई करती है। इस प्रकार से ये गीत हमारे ग्रामीण परिवेश के हंसी खुशी जीवन जीने के स्‍वरूप को प्रतिबिम्बित करते हैं। 
**
निष्कर्ष
**
निष्‍कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि सोहर गीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि वे परिवार की एकता, रिश्तों की मिठास और सामाजिक व्यंग्य को भी दिखाते हैं। ननद-भौजाई, देवर-भाभी, सास-बहू – हर रिश्ते की छोटी-छोटी नोंक-झोंक इन गीतों में बड़ी ही सहजता और मजेदार ढंग से दिखाई देती है। हमारे गांवों में तो कहावत भी प्रचलित है कि जहॉं चार बरतन होते हैं वहॉं खटपट तो होती ही रहती है। ऐसे गीत हमें यह याद दिलाते हैं कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हंसी-ठिठोली और गीत-संगीत से रिश्ते हमेशा मजबूत होते हैं। सोहर गीत केवल गाने नहीं हैं, ये हमारी संस्कृति की धड़कन हैं। इन गीतों में रिश्तों की मिठास है, मजाक और व्यंग्य है और सबसे बड़ी बात परिवार को जोड़े रखने की शक्ति है। "ननद-भौजाई गीत" हमें सिखाते हैं कि परिवार की नोक-झोंक में भी प्रेम और अपनापन छिपा होता है।
**
हम आशा करते हैं कि यह सोहर गीत आपको अवश्‍य पसन्‍द आयेगा। साथ ही अगर आपके पास भी आपके क्षेत्र में गाया जाने वाला कोई सोहर गीत हो तो हमें अवश्‍य उपलब्‍ध करायें। हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे। यह सोहर गीत हमें श्री कमल सिंह जी के ब्‍लाग ''पूर्वांचल के श्रम लोकगीत'' से प्राप्‍त हुआ है। इस लोकगीत के संकलन के लिए हम श्री कमल सिंह जी के प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त करते हैं। 
**
तो आइये अब इस प्रसिद्ध सोहर गीत का आनन्‍द लेते हैं। सोहर के बोल इस प्रकार हैं -
***
जइसे तलवा में लड़ेइआ चमकय ननदी।
अरे ओइसे चमकय घरवाँ में ससुरुआ हमरी ननदी।
**
जइसे बदरवा में बिजुलिआ चमकय ननदी,
अरे ओइसे चमके घरवा में भसुरुआ हमरी ननदी।
**
जइसे जंगलवा में हरिनवाँ छरके ननदी।
अरे ओइसे छरके घरवाँ में देवरवा, छोटी ननदी।
**
तीसिआ के तेलवा जरे हो छोटी ननदी,
अरे ओइसे जरे घरवाँ में ससुइआ, छोटी ननदी।
**
जइसे तउवा पर रोटिआ फुले ननदी,
अरे ओइसे फूले घरवाँ में जेठनियाँ, छोटी ननदी।
**
जइसे जंगलवा में बिछिआ टुपके ननदी,
अरे ओइसे टुपके घरवाँ में ननदिआ, छोटी ननदी ।।

***
भोजपुरी सोहर गीत : बोल और भावार्थ | ननद-भौजाई के रिश्ते, ससुराल के ताने और लोकसंस्कृति के रंग | Sohar Geet: Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet ka Bhavarth aur Mahatva
***

Jaise talwa mein ladeiya chamakay nanadi,
Are oise chamakay gharwa mein sasurwa hamri nanadi.
**
Jaise badarwa mein bijuliya chamakay nanadi,
Are oise chamke gharwa mein bhasurwa hamri nanadi.
**
Jaise jangalwa mein harinwa chharkay nanadi,
Are oise chharkay gharwa mein devarwa, chhoti nanadi.
**
Tisiya ke telwa jare ho chhoti nanadi,
Are oise jare gharwa mein sasuhiya, chhoti nanadi.
**
Jaise tauwa par rotiya phule nanadi,
Are oise phule gharwa mein jethaniya, chhoti nanadi.
**
Jaise jangalwa mein bichhiya tupke nanadi,
Are oise tupke gharwa mein nanadiya, chhoti nanadi.
***
सोहर गीत पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
**
सोहर गीत क्या होता है?
सोहर गीत एक पारंपरिक भोजपुरी लोकगीत है, जो खास तौर पर बच्चे के जन्म, शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों पर गाया जाता है।
**
ननद-भौजाई के सोहर गीत का महत्व क्या है?
इन गीतों में ननद और भाभी के रिश्ते की नोक-झोंक, अपनापन और हास्य-व्यंग्य झलकता है। यह रिश्ते की मिठास और परिवार की खुशी को दर्शाता है।
**
सोहर गीत किन-किन अवसरों पर गाए जाते हैं?
सोहर गीत शादी, बच्चे के जन्म, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश जैसे शुभ अवसरों पर गाए जाते हैं।
**
भोजपुरी सोहर गीत और अन्य लोकगीतों में क्या अंतर है?
सोहर गीत का केंद्र शुभ अवसर और पारिवारिक उल्लास होता है, जबकि अन्य लोकगीत (जैसे विवाह गीत, कजरी, छठ गीत) अलग-अलग त्योहारों और सामाजिक अवसरों से जुड़े होते हैं।
**
क्या सोहर गीत केवल भोजपुरी क्षेत्र में ही गाए जाते हैं?
नहीं। सोहर गीत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और नेपाल के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में भी गाए जाते हैं। इतना ही नहीं ये गीत देश और विदेश में भी गाये जाते हैं।
**
सोहर गीत किस भाषा में होते हैं?
ज़्यादातर सोहर गीत भोजपुरी और अवधी भाषा में रचे जाते हैं। हालांकि इनमें जो भाव होता है, उसे हर कोई आसानी से समझ सकता है।
***
सारांश : सोहर गीत और भोजपुरी लोकगीतों का महत्व
**
भारतीय लोकसंस्कृति में भोजपुरी लोकगीत (Bhojpuri Lokgeet) का विशेष स्थान है। ये गीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि समाज और परिवार के रिश्तों की गहराई को भी दर्शाते हैं। पुत्र जन्म या विवाह जैसे शुभ अवसरों पर गाए जाने वाले सोहर गीत (Sohar Geet Bhojpuri) आज भी गाँवों में बेहद लोकप्रिय हैं।
**
सोहर गीत खासकर महिलाओं द्वारा समूह में गाए जाते हैं। इनमें ननद-भाभी, देवर-भाभी, सास-बहू और परिवार के अन्य रिश्तों के बीच हंसी-मजाक व अपनापन झलकता है। इसी कारण Nanad Bhaujai Geet और Devar Bhabi Lokgeet लोकजीवन में सबसे प्रिय माने जाते हैं।
**
एक लोकप्रिय Sohar Geet Lyrics में ननद की तुलना तलवार, बिजली और हिरनी से की गई है। गीत का भावार्थ है कि ननद का आगमन ससुराल के घर में खुशियाँ और रौनक भर देता है। जैसे तवे पर रोटी फूलती है, वैसे ही ननद के आने से परिवार का वातावरण आनंदमय हो जाता है। यही Sohar Geet ka Bhavarth है रिश्तों की मिठास और पारिवारिक बंधन को मजबूत करना।
**
आज के दौर में भले ही DJ और फिल्मी गानों का चलन बढ़ गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में Bhojpuri Wedding Songs और Sasural Songs Bhojpuri का महत्व अभी भी बना हुआ है। ये गीत समाज की संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखते हैं।
**
निष्कर्षतः Nanad Bhaujai Sohar Song, Sohar Geet Bhojpuri, और अन्य Bhojpuri Traditional Songs हमारी लोकधरोहर हैं। ये गीत हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और परिवार व समाज में एकता और खुशी का संदेश देते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि इन गीतों को सहेजा जाए और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाए।
***

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भोजपुरी सोहर गीत : बोल और भावार्थ | ननद-भौजाई के रिश्ते, ससुराल के ताने और लोकसंस्कृति के रंग | Sohar Geet: Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet ka Bhavarth aur Mahatva

भोजपुरी सोहर गीत : बोल और भावार्थ | ननद-भौजाई के रिश्ते, ससुराल के ताने और लोकसंस्कृति के रंग | Sohar Geet : Nanad-Bhaujai Bhojpuri Lokgeet ...