बुधवार, 13 जुलाई 2022

कथा प्रसंग 002 : स्‍वामी राजेश्‍वरानन्‍द जी : धन्य है सत्पुरषों का संग || Dhanya Hai Satpurushon ka Sang

कथा प्रसंग 002 : स्‍वामी राजेश्‍वरानन्‍द जी : धन्य है सत्पुरषों का संग  || Dhanya Hai Satpurushon ka Sang



एक महात्मा थे श्री माधव दास जी महाराज, श्री वृंदावन धाम में निवास किया करते थे। एक बार श्री जगन्नाथ पुरी जा कर रहे तो वे नित्य भिक्षा के लिए जाते थे। 


नारायण हरि – भिक्षां देहि कहकर भिक्षा मांगा करते थे, लोग अपना सौभाग्य मानते थे।  संत को भिक्षा देकर अपने धन-धान्य को धन्य करते थे। और एक वृद्धा माता कुछ नहीं देती थी गाली देती थी कहती  निठल्ले कुछ नहीं किया जाता और निकल आते हैं दे दो दे दे दो।


और महात्मा भी बड़े अद्भुत उसके घर जरूर जाते, किसी ने उनसे कहा कि बाबा अरे जब वह कुछ नहीं देती है उनके यहां क्यों जाते हो?


माधव दास जी बोले अरे वह वो चीज देती है जो कोई नहीं देता, गाली तो देती है कुछ ना कुछ तो देती है। 


खोद खाद धरती से काट कूट वन राय। 

कुटिल वचन साधु सहे सबसे सहा न जाए।। 


अच्छा बृद्धा माता के बेटे का विवाह हो गया था, बेटे के घर किसी बेटे का जन्म नहीं हुआ था। पौत्र का जन्म नहीं हुआ था इसलिए वह वृद्धा माता बड़ी दुखी रहती थी। 


महात्मा को देखकर गाली देती एक दिन सदा की तरह माधव दास जी उसके दरवाजे पर गए। कहने लगी तू फिर आ गया निठल्ले?

 

कपड़े का पोता लेकर हाथ में पुताई का काम कर रही थी, कीचड़ से सना हुआ वह वस्त्र खंड महात्मा को देखकर वृद्धा माता ने फेंककर उस पोता से महात्मा को मारा। 


वह वस्त्र खंड महात्मा के जाकर छाती से लगा और नीचे गिर गया, बुढ़िया ने मार तो दिया लेकिन डर गई कहीं बाबा श्राप न दे दे?


लेकिन महात्मा मुस्कुराने लगे और वह कपड़े का वस्त्र खंड उठा कर बोले चल मैया तूने कुछ दिया तो, लेकिन अब हम भी बिना दिए नहीं जाएंगे। 


संत माधव दास भी उत्तर इसी का देगा। 

पोता अगर दिया है तो जा पोता तुझे मिलेगा।। 


संत की बात मिथ्या नहीं जाती भगवान भी संतो की बात की मर्यादा रखते हैं। भगवान संत की मर्यादा रखे उसके घर पोता का जन्म हुआ। 


वह कहती थी- 

पोता दियो ना प्रेम से रिसिवस दीन्हो मार। 

ऐसे पुण्यन सो सखी मेरे पोता खेलत द्वार।।

जो मैं ऐसे संत को देती प्रेम प्रसाद। 

तो घर में सुत उपजते जैसे ध्रुव प्रहलाद।।


माधव दास जी उस मिट्टी कीचड़ से सने हुए वस्त्र को लेकर आए जल से धुला उसके मटमैलेपन को दूर किया। कंकड़ों को धोया साफ कर दिया। 


और फिर घी में डाल दिया और घी से निकाल कर बत्ती बना दी और फिर दीया जला दी और मंदिर पर रख दिया उसको और वह वस्त्र खंड अपने सौभाग्य की सराहना करते हुए कह रहा है-

धन्य है सत पुरुषों का संग, 

बदल देता है जीवन का रंग। 


पोता में रोता था जहां रक्त और पीर, 

चौकी में फेरा जाता था मरते थे लाखों जीव। 


आ गया था जीवन से तंग, 

धन्य है सत पुरुषों का संग।  


और महात्मा ने क्या किया मिट्टी कंकड़ साफ कर दिया तो अब की दशा क्या है।  


झूला करूँ आरती ऊपर गरुण करे गुनगाथ।  

देते हैं मेरे प्रकाश में दरसन दीनानाथ।। 


आशीषें अंधे और अपंग 

धन्य है सत्पुरषों का संग। 


जिंदगी बदल दी केवल महात्मा के सत्संग ने अब मैं आरती के ऊपर झूलता हूं और मेरे प्रकाश में भगवान के दर्शन लोगों को होता है। अपंग अंधे आशीष देते हैं, भक्त उमंग में भरकर मुझे स्वीकार करते हैं जिंदगी बदल दी केवल महात्मा के सत्संग ने। 


धन्य है सत्पुरषों का संग


सीताराम सीताराम सीताराम कहिये || Sitaram Sitaram Sitaram Kahiye || Shri Ram Chandra Ji Ka Bhajan Lyrics in Hindi 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहे बिधि राखे राम वाहि बिधि रहिये 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहे बिधि राखे राम वाहि बिधि रहिये 


मुख में हो राम नाम 

राम सेवा हाथ में 

मुख में हो राम नाम 

राम सेवा हाथ में

तू अकेला नहीं प्‍यारे 

राम जी तेरे साथ में

विधि का विधान जान 

हानि लाभ सहिये 

विधि का विधान जान 

हानि लाभ सहिये 

जाहे बिधि राखे राम 

वाहि बिधि रहिये 


सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहि बिधि राखे राम वाहि बिधि रहिये 


किया अभिमान तो फिर 

मान नहीं पायेगा

किया अभिमान तो फिर 

मान नहीं पायेगा

होगा प्‍यारे वही जो

श्रीराम जी को भायेगा

होगा प्‍यारे वही जो

श्रीराम जी को भायेगा

फल आशा त्‍याग 

शुभ काम करते रहिये

फल आशा त्‍याग 

शुभ काम करते रहिये

जाहे बिधि राखे राम ताहि बिधि रहिये 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहि बिधि राखे राम वाहि बिधि रहिये 


जिन्‍दगी की डोर सौंप 

हाथ दीना नाथ के

जिन्‍दगी की डोर सौंप 

हाथ दीना नाथ के

महलों में राखे चाहे

झोपडी में वास दे

महलों में राखे चाहे

झोपडी में वास दे


धन्‍यवाद निर्विवाद 

राम राम कहिये 

धन्‍यवाद निर्विवाद 

राम राम कहिये 

जाहे विधि राखे राम वाहि बिधि रहिये 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये

जाहे विधि राखे राम वाहि बिधि रहिये


आशा एक राम जी से 

दूजी आसा छोड दे

आशा एक राम जी से 

दूजी आसा छोड दे

नाता एक राम जी से 

दूजा नाता तोड दे

नाता एक राम जी से 

दूजा नाता तोड दे

साधु संग राम रंग

अंग अंग रंगिये

काम रस त्‍याग प्‍यारे 

राम रस पगिये 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहे बिधि राखे राम वाहि विधि रहिये 

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये 

जाहे बिधि राखे राम वाहि विधि रहिये

जाहे बिधि राखे राम वाहि विधि रहिये

जाहे बिधि राखे राम वाहि विधि रहिये

बुधवार, 22 जून 2022

Katha Prasang 001 || कथा प्रसंग 001 || जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे || Jo karte Rahoge Bhajan Dhire Dhire

Katha Prasang 001 ||  कथा प्रसंग 001 || जो करते रहोगे  भजन धीरे धीरे || Jo karte Rahoge Bhajan Dhire Dhire 

एक बार की बात है। देवर्षि नारद जी भगवान श्रीहरि विष्‍णु जी से मिलने जा रहे थे। तभी उन्‍होंने मार्ग में देखा कि एक तपस्‍वी एक नीम के पेड के नीचे बैठ कर घोर तपस्‍या कर रहे हैं। नारद जी को विचार आया कि जाकर इनसे मिलना चाहिए। नारद जी तपस्‍वी के पास गये और बताया कि वे श्रीहरि विष्‍णुजी से मिलने जा रहे हैं। नारद जी ने यह भी कहा कि अगर आप कोई सन्‍देश प्रभु श्रीहरि विष्‍णु जी तक पहुँचाना चाहतें हों तो मैं उसे उन तक पहुँचा सकता हूँ। इस पर उन तपस्‍वी ने कहा कि आपकी अत्‍यन्‍त कृपा आज मुझ पर हुई है। आप केवल मेरे एक प्रश्‍न का उत्‍तर श्रीहरि विष्‍णु जी से पूछ कर आइयेगा। नारद जी ने कहा पूँछिये आपका प्रश्‍न क्‍या है। तपस्‍वी ने कहा कि आप उनसे केवल इतना पूँछ कर आइयेगा कि मुझे वे दर्शन कब देंगे। नारद जी नारायण नारायण जपते हुए श्री हरि विष्‍णु जी के श्रीधाम में पहुँचे और उनकी स्‍तुति करके सारा वृतान्‍त कह सुनाया। नारद जी ने तपस्‍वी के प्रश्‍न का उत्‍तर जानने की जिज्ञासा प्रकट की। इस पर भगवान श्रीहरि विष्‍णु ने कहा कि उस नीम के वृक्ष पर जितने पत्‍ते हैं उतने वर्षों के बाद उस तपस्‍वी को मैं दर्शन दूँगा। यह सुनकर नारद जी को बडा दुख हुआ। उन्‍होंने सोचा कि जब मैं तपस्‍वी को यह बात बताऊँगा तो वे बहुत दुखी होंगे। इन्‍हीं बातों पर विचार करते हुए नारद जी जब वापस लौटे तो तपस्‍वी ने उनसे पूँछा कि श्रीहरि ने क्‍या उत्‍तर दिया। नारद जी ने बडे उदास मन से बताया कि श्रीहरि विष्‍णुजी ने कहा है कि इस वृक्ष पर जितने पत्‍ते हैं उतने वर्षों के बाद वे आपको द‍र्शन देंगे। इतना सुनना था कि तपस्‍वी खुशी से झूमने लगे और नृत्‍य करने लगे। नारद जी ने पूँछा कि आप दुखी होने के बजाय खुश हो रहे हैं। तपस्‍वी ने कहा कि अभी तक तो मुझे यह भी पता नहीं था कि श्रीहरि विष्‍णु के मुझे दर्शन होंगे भी या नहीं। किन्‍तु अब मुझे पता चल गया है कि उनके दर्शन होंगे ही। इसीलिए मैं इतना प्रसन्‍न हूँ।

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

 

अगर उनसे मिलने की

दिल में तमन्‍ना

अगर उनसे मिलने की

दिल में तमन्‍ना

अगर प्रभु से मिलने की

दिल में तमन्‍ना

अगर प्रभु से मिलने की

दिल में तमन्‍ना

दिल में तमन्‍ना

दिल में तमन्‍ना

अगर हरि से मिलने की

दिल में तमन्‍ना

अगर हरि से मिलने की

दिल में तमन्‍ना

करो शुद्ध अन्‍त:करण धीरे धीरे

करो शुद्ध अन्‍त:करण धीरे धीरे

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

जो करते रहोगे ....

 

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

मुश्किल नहीं है

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

कोई काम दुनिया में

मुश्किल नहीं है

जो करते रहोगे

यतन धीरे धीरे

जो करते रहोगे

यतन धीरे धीरे

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

जो करते रहोगे ....

 

करो प्रेम से भक्ति

सेवा हरि की

करो प्रेम से भक्ति

सेवा हरि की

करो प्रेम से भक्ति

पूजा हरि की

 

करो प्रेम से भक्ति

पूजा हरि की

पूजा हरि की

पूजा हरि की

करो प्रेम से भक्ति

पूजा हरि की

करो प्रेम से भक्ति

पूजा हरि की

तो मिल जायेगा

वो रतन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो रतन धीरे धीरे

 

जो करते रहोगे

भजन धीरे धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

तो मिल जायेगा

वो सजन धीरे

 

जो करते रहोगे ....

मंगलवार, 21 जून 2022

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो || Hamare Sath Shri Raghunath to Kis Baat Ki Chinta || Shri Ram Bhajan Lyrics in Hindi

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो || Hamare Sath Shri Raghunath to Kis Baat Ki Chinta || Shri Ram Bhajan Lyrics in Hindi

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता 

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

चरण में रख दिया जब माथ तो 

किस बात की चिन्‍ता 

चरण में रख दिया जब माथ तो 

किस बात की चिन्‍ता


किया करते हो तुम दिन रात क्‍यों

बिन बात की चिन्‍ता 

किया करते हो तुम दिन रात क्‍यों

बिन बात की चिन्‍ता 

किया करते हो तुम दिन रात क्‍यों

बिन बात की चिन्‍ता

किया करते हो तुम दिन रात क्‍यों

बिन बात की चिन्‍ता

तेरे स्‍वामी 

तेरे स्‍वामी को रहती है 

तेरी हर बात की चिन्‍ता 

तेरे स्‍वामी को रहती है 

तेरी हर बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता


न खाने की न पीने की

न मरने की न जीने की 

न खाने की न पीने की

न मरने की न जीने की

न खाने की न पीने की

न मरने की न जीने की

न खाने की न पीने की

न मरने की न जीने की

रहे हर श्‍वास 

रहे हर श्‍वास पे 

भगवान के प्रिय नाम की चिन्‍ता 

रहे हर श्‍वास पे 

भगवान के प्रिय नाम की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता


विभीषण को अभय वर दे किया 

लंकेश पल भर में 

विभीषण को अभय वर दे किया 

लंकेश पल भर में

विभीषण को अभय बर दे किया 

लंकेश पल भर में

विभीषण को अभय बर दे किया 

लंकेश पल भर में

उन्‍हीं का हॉं 

उन्‍हीं का कर रहे गुणगान तो 

किस बात की चिन्‍ता 

उन्‍हीं का कर रहे गुणगान तो 

किस बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता


हुई भक्‍त पर किरपा 

बनाया दास प्रभु अपना 

हुई भक्‍त पर किरपा 

बनाया दास प्रभु अपना 

हुई भक्‍त पर किरपा 

बनाया दास प्रभु अपना 

हुई भक्‍त पर किरपा 

बनाया दास प्रभु अपना 

उन्‍हीं के हॉं 

उन्‍हीं के हाथ में अब हाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता 

उन्‍हीं के हाथ में अब हाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता 

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

चरण में रख दिया जब माथ तो 

किस बात की चिन्‍ता 

चरण में रख दिया जब माथ तो 

किस बात की चिन्‍ता

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रामा रामा रटते रटते || Rama Rama Ratte Ratte || Shri Ram Bhajan Lyrics in Hindi

रामा रामा रटते रटते || Rama Rama Rat-te Rat-te || Shri Ram Bhajan Lyrics in Hindi 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे 

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

भिलनी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया 


मैं शबरी भिलनी की जाई

भजन भाव नहिं जानूं रे

मैं शबरी भिलनी की जाई

भजन भाव नहिं जानूं रे

राम तुम्‍हारे दर्शन के हित

वन में जीवन पालूं रे 

राम तुम्‍हारे दर्शन के हित

वन में जीवन पालूं रे

चरण कमल से निर्मल कर दो 

दासी की झोपडिया 

चरण कमल से निर्मल कर दो 

दासी की झोपडिया

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

भिलनी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते 


रोज सबेरे वन में जाकर 

रस्‍ता साफ कर आती हूँ 

रोज सबेरे वन में जाकर 

रस्‍ता साफ कर आती हूँ

अपने प्रभु के खातिर वन से 

चुन चुन के फल लाती हूँ 

अपने प्रभु के खातिर वन से 

चुन चुन के फल लाती हूँ

मीठे मीठे बेरों से भर 

मीठे मीठे बेरों से भर 

लाई मैं झबरिया 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

भिलनी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते 


सुन्‍दर श्‍यामी सलोनी सूरत 

नैनन बीच बसाउँगी 

सुन्‍दर श्‍याम सलोनी सूरत 

नैनन बीच बसाउँगी

पद पंकज की रज धरि मस्‍तक

चरणों में शीष नवाउँगी 

पद पंकज की रज धरि मस्‍तक

चरणों में शीष नवाउँगी

प्रभु जी मुझको भूल गये क्‍या 

प्रभु जी मुझको भूल गये क्‍या 

दासी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

भिलनी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते 


नाथ तुम्‍हारे दर्शन के हित 

मैं अबला इक नारी हूँ 

नाथ तुम्‍हारे दर्शन के हित 

मैं अबला इक नारी हूँ

दर्शन बिन दोउ नैना तरसें 

दिल की बडी दुखियारी हूँ 

दर्शन बिन दोउ नैना तरसें 

दिल की बडी दुखियारी हूँ

मुझको दर्शन देव दयामय 

मुझको दर्शन देव दयामय 

डालो मेहर नजरिया 

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रामा रामा रटते रटते

बीती रे उमरिया

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

रघुकुल नन्‍दन कब आओगे

भिलनी की डगरिया 

रामा रामा रटते रटते

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सोमवार, 20 जून 2022

जरा बंसी बजा दो मनमोहन || Jara Bansi Baja Do Manmohan || Sarvadev Aarti Lyrics in Hindi || Shiv Aarti || Krishna Aarti

जरा बंसी बजा दो मनमोहन || Jara Bansi Baja Do Manmohan || Sarvadev Aarti Lyrics in Hindi || Shiv Aarti || Krishna Aarti 

(तर्ज - दिल लूटन वाले जादूगर)

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं 

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं 

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं 

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं 


मेरे हाथ में अगर कपूर बाती

मेरे हाथ में अगर कपूर बाती

हम ज्‍योत जलाने आये हैं 

हम ज्‍योत जलाने आये हैं 

जरा दरश दिखा दो गजानना 

हम आरती करने आये हैं 

जरा दरश दिखा दो गजानना 

हम आरती करने आये हैं


मेरे हाथ में पान फूल मेवा है 

मेरे हाथ में पान फूल मेवा है 

हम भोग लगाने आये हैं 

हम भोग लगाने आये हैं 

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं 

जरा बंसी बजा दो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं


जरा डमरू बजा दो शिवशंकर 

हम आरती करने आये हैं

जरा डमरू बजा दो शिवशंकर 

हम आरती करने आये हैं


मेरे हाथ में जल का लोटा है 

मेरे हाथ में जल का लोटा है

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं 

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं

जरा शंख बजा दो नारायण 

हम आरती करने आये हैं 


जरा शंख बजा दो नारायण 

हम आरती करने आये हैं

जरा शंख बजा दो नारायण 

हम आरती करने आये हैं

जरा वीणा बजा दो शारदे माँ 

हम आरती करने आये हैं 


जरा वीणा बजा दो शारदे माँ 

हम आरती करने आये हैं 

मेरे हाथ में श्‍वेत कमलदल है 

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं 

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं


जरा बंसी बजा दो मनमोहन

हम आरती करने आये हैं 


जरा दरश दिखा दो जगदम्‍बा 

हम आरती करने आये हैं 

जरा दरश दिखा दो जगदम्‍बा 

हम आरती करने आये हैं 

मेरे हाथ में लाल चुनरिया है

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं 

मेरे हाथ में लाल चुनरिया है

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं


जरा शंख बजा दो नारायण

हम आरती करने आये हैं

जरा शंख बजा दो नारायण

हम आरती करने आये हैं


जरा चुटकी बजा दो हनुमन्‍त लला 

हम आरती करने आये हैं 

जरा चुटकी बजा दो हनुमन्‍त लला 

हम आरती करने आये हैं 

मेरे हाथ में सिन्‍दुर रोली है 

मेरे हाथ में सिन्‍दुर रोली है 

हम तुम्हें चढाने आये हैं 

हम तुम्‍हें चढाने आये हैं


जरा बंशी बजादो मनमोहन 

हम आरती करने आये हैं

जरा डमरू बजा दो शिवशंकर

हम आरती करने आये हैं

जरा शंख बजा दो नारायण 

हम आरती करने आये हैं 

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मेरी अंखियों के सामने ही रहना || Meri Akhiyo Ke Samne Hi Rahna || Devi Geet Lyrics in Hindi & English

मेरी अंखियों के सामने ही रहना || Meri Akhiyo Ke Samne Hi Rahna || Devi Geet Lyrics in Hindi & English ** **  मेरी अखियों के सामने ही रहन...