शिव भोले का डमरु जब-जब बजता है | Shiv Bhole Ka Damru Jab Jab Bajta Hai | Shiv Shankar Bhajan Lyrics in Hindi
तर्ज : दुल्हे का सेहरा सुहाना लगता हैगीत एवं संगीत : श्री रवि
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शिव भोले का डमरु
जब-जब बजता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
देव-असुर-नर-किन्नर
सारे नाच रहे
भगतों का भी प्यारा
जमघट मचता है
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शिव भोले का डमरु
जब-जब बजता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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शिव कैलाशी शिव अविनाशी
बाँध लिये घुँघरू
छम-छम-छम-छम नाच रहें हैं
बाज रहा डमरु
भोले जी का रूप निराला जँचता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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शिव भोले का डमरु
जब-जब बजता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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शिव भोले की शीश जटा में
गंगा झूम रही
गल सर्पों की
रुद्राक्षों की माला घूम रही
मस्तक ऊपर चंदा बैठा हँसता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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शिव भोले का डमरु
जब-जब बजता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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भूतों की प्रेतो की टोली
संग में नाच रही
नंदी के भी गले की घंटी
टन – टन बाज रही
कहे “रवि” ये भोले का
रंग जमता है,
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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शिव भोले का डमरु
जब-जब बजता है
धरती-अम्बर सारा ही
जग नचता है
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